लोगों की राय

बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-2 - निर्देशन एवं परामर्श

बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-2 - निर्देशन एवं परामर्श

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :232
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2709
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-2 - निर्देशन एवं परामर्श

प्रश्न- साक्षात्कार प्रविधि से आप क्या समझते हैं? साक्षात्कार प्रविधि के मुख्य तत्त्वों विशेषताओं एवं उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

साक्षात्कार प्रविधि का अर्थ

,

साक्षात्कार प्रविधि का अर्थ है- दो व्यक्तियों का किसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु आपसी वार्तालाप। सूचना देने वाला तथा सूचना लेने वाला दोनों ही किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए वार्तालाप करते हैं।

प्रो. मानेन्द्रनाथ बसु के अनुसार, - "एक साक्षात्कार को कुछ विषयों को लेकर व्यक्तियों के आमने-सामने का मिलन कहा जा सकता है।"

इस प्रकार साक्षात्कार प्रविधि में अनुसंधानकर्ता किसी व्यक्ति या समूह जिससे कि उसे सूचना प्राप्त करनी होती है, के आमने-सामने बैठकर कुछ प्रश्न पूछकर अध्ययन विषय से सम्बन्धित सूचनाओं का संकलन करता है, परन्तु साक्षात्कार प्रविधि केवल आमने-सामने वार्तालाप करना ही नहीं है बल्कि इस प्रविधि के द्वारा साक्षात्कारकर्त्ता साक्षात्कारदाता या सूचनादाता के अन्तः मन में प्रवेश करके उससे वास्तविक सूचनाएँ प्राप्त करने का प्रयास करता है जैसे कि पी. वी. यंग ने भी कहा है "साक्षात्कार को ऐसी क्रमबद्ध प्रणाली के रूप में माना जा सकता है जिसके द्वारा एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के आन्तरिक जीवन में थोड़ा-बहुत कल्पनात्मक रूप से प्रवेश करता है जो कि उसके लिये तुलनात्मक रूप से अपरिचित होता है।" इस प्रकार आमने-सामने के गहन सम्बन्ध स्थापित करके व्यक्तियों से सूचना प्राप्ति के लिये की गई बातचीत को साक्षात्कार कहा जा सकता है। साक्षात्कार के अर्थ को और भी अधिक स्पष्ट रूप से समझने के लिये कुछ अन्य परिभाषाओं का अध्ययन भी आवश्यक है जो निम्न प्रकार हैं-

सिन - पाओ यंग ने साक्षात्कार प्रविधि को परिभाषित करते हुए लिखा है कि, - " साक्षात्कार क्षेत्रीय कार्य की एक ऐसी प्रविधि है, जो कि एक व्यक्ति या व्यक्तियों के व्यवहार की निगरानी करने, कथनों को अंकित करने व सामाजिक अन्तःक्रिया के वास्तविक परिणामों का अवलोकन करने के लिये प्रयोग में ली जाती हैं"

प्रो. वी. एम. पालमर ने लिखा है, - " साक्षात्कार दो व्यक्तियों के बीच सामाजिक स्थिति है जिसमें निहित मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया के लिये यह आवश्यक है कि दोनों व्यक्ति परस्पर उत्तर - प्रत्युत्तर करते रहे, यद्यपि साक्षात्कार के सामाजिक अनुसंधान के उद्देश्य में सम्बन्धित दलों से बहुत कुछ भिन्न उत्तर प्राप्त होने चाहिए।" इस प्रकार वास्तविक रूप से साक्षात्कार में दो व्यक्ति एक दूसरे के सम्मुख केवल उपस्थित मात्र नहीं होते बल्कि उनमें परस्पर उत्तेजना और सहयोग जैसी अनुक्रियायें भी होती हैं, इसी कारण प्रो. गुडे एवं हॉट ने साक्षात्कार को एक सामाजिक प्रक्रिया मानते हुए लिखा है, "मूल रूप में साक्षात्कार सामाजिक अनुक्रिया की एक प्रक्रिया है।"

हेडर और लिण्डमैन - साक्षात्कार को केवल "दो या अधिक व्यक्तियों के मध्य वार्तालाप अथवा मौखिक प्रत्युत्तर मानते हैं।" अतः उपरोक्त समस्त परिभाषाओं के आधार पर हम संक्षेप में कह सकते हैं कि साक्षात्कार प्रत्यक्ष सम्बन्ध स्थापित करके तथ्यों को संकलित करने एवं उन्हें लिखने की एक ऐसी प्रविधि है, जिसमें दो या दो से अधिक व्यक्ति किन्हीं विशिष्ट उद्देश्यों को सामने रखकर आमने- सामने बैठकर वार्तालाप करते हैं।

साक्षात्कार प्रविधि के मुख्य तत्त्व

साक्षात्कार से सम्बन्धित मुख्य तत्त्व या कारक निम्नलिखित प्रकार से हैं-

(1) साक्षात्कार एक प्रकार का वार्तालाप होता है जिसमें कम से कम दो व्यक्ति शामिल होते हैं- एक सूचना लेने वाला और दूसरा साक्षात्कार देने वाला।
(2) साक्षात्कार किसी एक व्यक्ति या दूसरे व्यक्ति से होता है। शिक्षा क्षेत्र से सम्बन्धित साक्षात्कार के अन्तर्गत साक्षात्कार लेने वाला प्रायः अध्यापक अथवा कोई शोधकर्त्ता होता है तथा साक्षात्कार देने वाला कोई छात्र होता है।
(3) साक्षात्कार के दौरान होने वाले वार्तालाप का कोई न कोई उद्देश्य अवश्य होता है।
(4) साक्षात्कार एक व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति के साथ सम्पर्क स्थापित करने का एक महत्त्वपूर्ण साधन होता है।
(5) साक्षात्कार लेने वाला व्यक्ति प्रशिक्षित तथा अनुभवी होता है जो दूसरे व्यक्ति को सलाह अथवा परामर्श देता है।

साक्षात्कार प्रविधि की विशेषतायें

इस प्रविधि की कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

(1) दो या दो से अधिक व्यक्ति - साक्षात्कार प्रविधि की मुख्य विशेषता है इसमें दो या दो से अधिक व्यक्तियों का परस्पर आमने-सामने वार्तालाप होता है, अकेला व्यक्ति अपना ही साक्षात्कार नहीं कर सकता है। इस कारण साक्षात्कारकर्ता और साक्षात्कारदाता का होना आवश्यक है।
(2) आमने-सामने के सम्बन्ध - साक्षात्कार प्रविधि की प्रमुख विशेषता है कि इसमें साक्षात्कारकर्ता तथा साक्षात्कारदाता के द्वारा प्रत्यक्ष आमने-सामने के प्राथमिक संबंध स्थापित किये जाते हैं।
(3) विशिष्ट उद्देश्य - साक्षात्कार की तीसरी प्रमुख विशेषता 'विशिष्ट उद्देश्य' है, अर्थात् दो या दो से अधिक व्यक्तियों के प्रत्येक वार्तालाप को साक्षात्कार नहीं कहा जा सकता बल्कि साक्षात्कार एक ऐसी उद्देश्यपूर्ण अन्तः क्रिया है जिसमें दो या अधिक व्यक्तियों द्वारा सम्बन्ध किसी विशिष्ट उद्देश्य को सामने रखकर ही स्थापित किये जाते हैं।
(4) सामग्री संकलन - साक्षात्कार प्रविधि का प्रमुख उद्देश्य जो कि अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है, यह कि साक्षात्कार की प्रत्येक गतिविधि एवं वार्तालाप के द्वारा सामाजिक अनुसंधानों तथा सामाजिक अध्ययनों के लिये सामग्री का संकलन किया जाता है।

साक्षात्कार प्रविधि के प्रमुख उद्देश्य

साक्षात्कार प्रविधि के अनेक उद्देश्य होते हैं। जिनको निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-

(1) आमने-सामने के सम्पर्क से सूचना प्राप्त करना - साक्षात्कार का प्रमुख उद्देश्य प्रत्यक्ष अथवा आमने-सामने का सम्पर्क स्थापित करके अध्ययन विषय के सम्बन्ध में सूचना प्राप्त करना होता है, वास्तव में साक्षात्कार प्रविधि के द्वारा मनुष्यों की भावनाओं, मूल्यों, उद्वेगों अथवा मनोवृत्तियों का अध्ययन किया जाता है और इन सभी के अध्ययन के लिये आमने-सामने के प्रत्यक्ष सम्बन्धों को स्थापित करना अत्यन्त आवश्यक होता है।

(2) प्राकल्पनाओं के निर्माण का स्त्रोत - साक्षात्कार प्रविधि का दूसरा प्रमुख उद्देश्य प्राकल्पनाओं के निर्माण के लिये आवश्यक सामग्री को एकत्रित करना है, साक्षात्कार के समय अनुसंधानकर्ता को व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन के सम्बन्ध में बहुमूल्य जानकारी प्राप्त होती है जिसके आधार पर अनुसंधानकर्ता को विभिन्न व्यक्तियों की भावनाओं, विचारों, मनोवृत्तियों इत्यादि के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त होती है, इसी कारण सामाजिक क्रियाओं और व्यक्तिगत अन्तः क्रियाओं के सम्बन्ध में प्राकल्पनाओं के निर्माण के लिये साक्षात्कार प्रविधि अत्यन्त ही उपयोगी है।

(3) अवलोकन के लिये अवसर पाना - यदि किसी घटना या व्यवहार के विषय में केवल सूचना ही नहीं बल्कि अवलोकन भी करना हो तो साक्षात्कार एक उपयुक्त प्रविधि है। जिस समय अध्ययनकर्त्ता किसी सूचनादाता के पास साक्षात्कार के लिये जाता है तो वह केवल साक्षात्कार नहीं लेता बल्कि सूचनादाता के घर का वातावरण, पास-पड़ोस, उसके व उसके घर के अन्य सदस्यों के व्यवहार के विविध प्रारूप आदि अनायास ही उसकी दृष्टि में आ जाते हैं और यह उनके अवलोकन का बहुमूल्य अवसर भी प्राप्त कर लेता है, श्री बेंजामिन डी. पाल ने लिखा है कि- " यद्यपि साक्षात्कार एवं अवलोकन को विकल्प प्रविधियाँ माना जाता है लेकिन वे पूरक प्रविधियाँ हैं और किसी अकेली प्रविधि का उपयोग करने के स्थान पर उनके सम्मिलित प्रयोग से अधिक उत्तम ज्ञान दृष्टि प्राप्त होती है।" इस प्रकार साक्षात्कार प्रविधि में साक्षात्कार एवं अवलोकन दोनों ही प्रविधियों के लाभ प्राप्त होने का सुअवसर प्राप्त हो जाता है।

(4) गुणात्मक तथ्यों का संकलन - सामाजिक तथ्य मूलरूप से गुणात्मक होते हैं जो विचारों, भावनाओं तथा लोक विश्वासों के रूप में मनुष्य के अन्तर्जगत में फैले रहते हैं, ये व्यक्तिगत भी हो सकते हैं और सामूहिक भी, इन्हें अन्य साधनों द्वारा प्राप्त नहीं किया जा सकता, केवल साक्षात्कार द्वारा ही संकलित किया जा सकता है।

(5) व्यक्तिगत एवं आन्तरिक सूचना संकलित करना - साक्षात्कार प्रविधि का प्रयोग व्यक्तियों के व्यक्तिगत जीवन के आन्तरिक पक्ष को समझने के लिए एवं सम्बन्धित सूचनायें एकत्रित करने के लिए किया जाता है, साक्षात्कार के इसी उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए लुण्डबर्ग ने कहा है, "अनुसंधानकर्त्ता की रुचि न केवल वस्तुगत आँकड़ों जैसे आय, संतानों की संख्या, आयु इत्यादि प्राप्त करने में होती है, बल्कि उसके व्यक्तित्व, उसकी प्रवृत्तियों तथा उसके राग-द्वेषों का पता लगाने में भी होती है। जो उसके वातावरण तथा उससे सम्बन्धित शारीरिक क्रियाओं, भाव-भंगिमाओं इत्यादि के द्वारा प्रगट होती है।"

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- निर्देशन का क्या अर्थ है? निर्देशन की प्रमुख विशेषताओं तथा क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
  2. प्रश्न- निर्देशन के महत्वपूर्ण उद्देश्य कौन-कौन से हैं? विवेचना कीजिए।
  3. प्रश्न- निर्देशन के मूल सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- निर्देशन की आवश्यकता से आप क्या समझते हैं? शैक्षिक एवं सामाजिक दृष्टिकोण से निर्देशन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  5. प्रश्न- "व्यावसायिक निर्देशन शैक्षिक निर्देशन पर प्रभुत्व रखता है।" स्पष्ट कीजिये एवं इस कथन का औचित्य बताइये।
  6. प्रश्न- निर्देशन के प्रमुख सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  7. प्रश्न- निर्देशन की आधुनिक प्रवृत्तियाँ क्या हैं?
  8. प्रश्न- निर्देशन की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- निर्देशन के विषय क्षेत्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  10. प्रश्न- निर्देशन तथा शिक्षा में कौन-कौन से मुख्य अन्तर हैं? स्पष्ट कीजिए।
  11. प्रश्न- निर्देशन के कार्य क्या हैं?
  12. प्रश्न- निर्देशन की प्रकृति का उल्लेख कीजिए।
  13. प्रश्न- भारत में निदर्शन की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
  14. प्रश्न- "समृद्ध भारत के लिये निर्देशन सेवाओं की अत्यधिक आवश्यकता है।" विभिन्न परिप्रेक्ष्य में इस कथन की विवेचना कीजिए।
  15. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श के मध्य सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
  16. प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन से आप क्या समझते हैं? शैक्षिक निर्देशन की आवश्यकता की विवेचना कीजिए।
  17. प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन के मुख्य उद्देश्यों तथा शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर शैक्षिक निर्देशन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर शैक्षिक निर्देशन के स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- व्यक्तिगत निर्देशन किसे कहते हैं? व्यक्तिगत निर्देशन के स्वरूप एवं महत्त्व का वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर व्यक्तिगत निर्देशन के उद्देश्यों या कार्यों का वर्णन कीजिए।
  21. प्रश्न- व्यावसायिक निर्देशन से आप क्या समझते हैं? इसके महत्त्व और आवश्यकता को स्पष्ट कीजिए।
  22. प्रश्न- छात्रों के व्यावसायिक निर्देशन में विद्यालय क्या भूमिका निभा सकता है?
  23. प्रश्न- "व्यक्तिगत निर्देशन, निर्देशन का मूलाधार है।" इस कथन की समीक्षा कीजिए।
  24. प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन के प्रमुख सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
  26. प्रश्न- शैक्षिक और व्यावसायिक निर्देशन में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
  27. प्रश्न- व्यावसायिक निर्देशन की शिक्षा के क्षेत्र में क्यों आवश्यकता है? स्पष्ट कीजिए।
  28. प्रश्न- व्यक्तिगत निर्देशन किसे कहते हैं? इसके मुख्य उद्देश्य बताइए।
  29. प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन के सिद्धान्त क्या है स्पष्ट कीजिए।
  30. प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन से आप क्या समझते हैं? इसकी उपयोगिता का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- सूचना सेवा से आप क्या समझते हैं? सूचना सेवाओं के उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- सूचना सेवा की कार्य विधि का वर्णन कीजिए।
  33. प्रश्न- नियोजन सेवा से आप क्या समझते हैं? विद्यालय के नियोजन सम्बन्धी कार्यों एवं उत्तरदायित्वों पर प्रकाश डालिए।
  34. प्रश्न- निर्देशन सेवाओं में कौन-कौन से कर्मचारी भाग लेते हैं? प्रधानाचार्य एवं अध्यापक की निर्देशन सम्बन्धी भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श में अभिभावक एवं वार्डेन की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- किसी विद्यालय के निर्देशन सेवा के संगठन की आधारभूत आवश्यकताओं का उल्लेख कीजिए।
  37. प्रश्न- निर्देशन सेवा में विद्यालय स्तर पर कार्यरत प्रमुख व्यक्तियों की भूमिका का विस्तारपूर्वक उल्लेख कीजिए।
  38. प्रश्न- अनुवर्ती सेवाओं से आप क्या समझते हैं? इसका क्या प्रयोजन है? अध्ययनरत छात्रों के लिए अनुवर्ती सेवाओं की विवेचना कीजिए।
  39. प्रश्न- छात्र सूचना या वैयक्तिक अनुसूची सेवा से आपका क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
  40. प्रश्न- सूचना सेवा की आवश्यक सामग्री का उल्लेख कीजिए।
  41. प्रश्न- नियोजन सेवा के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- परामर्श सेवा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  43. प्रश्न- सूचना सेवा कितने प्रकार की होती है? विवेचना कीजिए।
  44. प्रश्न- व्यावसायिक निर्देशन में आवश्यक सूचनाओं को बताइए।
  45. प्रश्न- व्यक्ति निर्देशन में आवश्यक सूचना को बताइये।
  46. प्रश्न- भारत में व्यवसाय से सम्बन्धित सूचनाओं के प्रमुख स्रोत क्या हैं?
  47. प्रश्न- निर्देशन सेवाओं में परिवार की क्या भूमिका होती है?
  48. प्रश्न- अनुकूलन सेवा से आपका क्या अभिप्राय है? इसकी आवश्यकता के क्या कारण हैं? स्पष्टतया समझाइये।
  49. प्रश्न- उपचारात्मक सेवाओं से आप क्या समझते हैं?
  50. प्रश्न- अनुवर्ती अध्ययन की समस्याएँ एवं समाधान का वर्णन कीजिए।
  51. प्रश्न- भूतपूर्व छात्रों का अनुवर्ती अध्ययन क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  52. प्रश्न- भूतपूर्व छात्रों के अनुवर्ती अध्ययन की विधियों का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- कृत्य विश्लेषण एवं कृत्य संतोष में क्या सम्बन्ध है?
  54. प्रश्न- विद्यालयों में निर्देशन सेवाओं से आप क्या समझते हैं? विद्यालय निर्देशन- सेवाओं के संगठन के प्रचलित सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  55. प्रश्न- माध्यमिक स्तर पर निर्देशन सेवाओं के संगठन का वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- विद्यालय निर्देशन सेवा के प्रमुखं कार्य कौन-कौन से हैं? प्राथमिक तथा सैकेण्ड्री स्कूल स्तर पर निर्देशन कार्यक्रम संगठन के उद्देश्यों तथा कार्यों की विवेचना कीजिए।
  57. प्रश्न- विद्यालयी निर्देशन सेवाओं के संगठन की मुख्य संकल्पनाएँ क्या हैं? इसकी आवश्यकता व क्षेत्र क्या है? वर्णन कीजिए।
  58. प्रश्न- वर्णन कीजिए कि आप एक शिक्षक के रूप में माध्यमिक स्तर पर निर्देशन कार्यक्रम को किस प्रकार से संगठित करेंगे?
  59. प्रश्न- विद्यालय निर्देशन सेवा द्वारा किये जाने वाले मुख्य कार्यों की विवेचना कीजिए।
  60. प्रश्न- विद्यालय की निर्देशन संगठन सेवा का क्या अर्थ है? स्पष्ट कीजिए।
  61. प्रश्न- विद्यालय में निर्देशन सेवाओं के सफल संगठन के लिए किन-किन मुख्य बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  62. प्रश्न- विद्यालय में निर्देशन कार्यक्रमों के सफल संचालन हेतु किन-किन कर्मचारियों की आवश्यकता होती है? स्पष्ट कीजिए।
  63. प्रश्न- निर्देशन सेवाओं के विभिन्न रूपों तथा सिद्धान्तों को संक्षिप्त रूप में बताइए।
  64. प्रश्न- निर्देशन में मूल्यांकन के महत्व की विवेचना कीजिए।
  65. प्रश्न- निर्देशन में मूल्यांकन के सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
  66. प्रश्न- परामर्श क्या है? परामर्श के उद्देश्य तथा सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- परामर्श क्या है? परामर्श की आवश्यकता तथा महत्व का वर्णन कीजिए। अथवा छात्र परामर्श की आवश्यकता बताइये।
  68. प्रश्न- परामर्श की प्रक्रिया को समझाइए।
  69. प्रश्न- एक अच्छे परामर्शदाता के कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  70. प्रश्न- परामर्श से आपका क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
  71. प्रश्न- परामर्श और निर्देशन में कौन-कौन से मुख्य अन्तर पाए जाते हैं? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- एक अच्छे परामर्शदाता में कौन-कौन से गुणों का होना आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  73. प्रश्न- परामर्श से सम्बन्धित प्रमुख परिभाषाओं को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
  74. प्रश्न- परामर्श के उद्देश्यों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  75. प्रश्न- "एक परामर्शदाता के लिये समूह गतिशीलता का ज्ञान होना आवश्यक है।" स्पष्ट कीजिए।
  76. प्रश्न- धर्म-परामर्श में सह-सम्बन्ध बताइये।
  77. प्रश्न- व्यक्तिवृत्त-अध्ययन विधि से आप क्या समझते हैं? इसके गुणों का वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- संचित अभिलेख पत्र क्या है? संचित अभिलेख पत्र की विशेषताएँ कौन-कौन सी हैं? इस पत्र की उपयोगिता की व्याख्या कीजिए।
  79. प्रश्न- साक्षात्कार प्रविधि से आप क्या समझते हैं? साक्षात्कार प्रविधि के मुख्य तत्त्वों विशेषताओं एवं उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- निर्धारण मापनी या रेटिंग स्केल से आपका क्या अभिप्राय है? इनकी मुख्य विशेषताओं तथा प्रकारों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  81. प्रश्न- साक्षात्कार प्रविधि के कितने प्रकार हैं? अनिर्देशित साक्षात्कार प्रविधि के लाभ एवं सीमाएँ बताइए।
  82. प्रश्न- संचित अभिलेख पत्र के निर्माण के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  83. प्रश्न- व्यक्तिवृत्त अध्ययन प्रविधि की सीमाओं का वर्णन कीजिए।
  84. प्रश्न- साक्षात्कार प्रविधि के गुणों का वर्णन कीजिए।
  85. प्रश्न- क्रम निर्धारण प्रविधि या निर्धारण मापनी को परिभाषित कीजिए।
  86. प्रश्न- साक्षात्कार विधि के मुख्य उपयोगों के बारे में संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- निरीक्षण या अवलोकन के अर्थ तथा परिभाषाओं को संक्षेप में स्पष्ट करें।
  88. प्रश्न- निरीक्षण या अवलोकन प्रविधि के दोषों पर प्रकाश डालिए।
  89. प्रश्न- प्रश्नावली प्रविधि के अर्थ तथा परिभाषाओं को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
  90. प्रश्न- क्रम निर्धारण प्रविधि की कमियों या सीमाओं पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  91. प्रश्न- संचयी आलेख का अर्थ बताइए।
  92. प्रश्न- परामर्श प्रदान करने की मुख्य प्रविधियाँ कौन-कौन सी हैं? निर्देशीय तथा अनिर्देशीय परामर्श की प्रविधियों की मुख्य धारणाओं, सोपानों तथा लाभ एवं कमियों का उल्लेख कीजिए।
  93. प्रश्न- परामर्श की प्रमुख प्रविधियाँ कौन-कौन सी हैं? निर्देशन और परामर्श में साक्षात्कार प्रविधि क्यों अधिक उपयोगी सिद्ध हुई है? स्पष्ट कीजिए।
  94. प्रश्न- समन्वित परामर्श से आप क्या समझते हैं? समन्वित परामर्श की मुख्य धारणाओं, लाभों तथा कमियों एवं सीमाओं का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- परामर्श क्या है? परामर्श तथा निर्देशन में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
  96. प्रश्न- निर्देशन के साधन क्या हैं?
  97. प्रश्न- निर्देशात्मक परामर्श की प्रमुख विशेषताओं और सीमाओं पर प्रकाश डालिए।
  98. प्रश्न- अनिदेशात्मक परामर्श से क्या तात्पर्य है? अनिदेशात्मक परामर्श की मूल धारणाओं का उल्लेख कीजिए।
  99. प्रश्न- निर्देशीय तथा अनिर्देशीय परामर्श में कौन-कौन से मुख्य अन्तर पाए जाते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  100. प्रश्न- अनिर्देशीय परामर्श की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  101. प्रश्न- अनिर्देशीय परामर्श के मुख्य कार्यों को संक्षेप में बताएँ।
  102. प्रश्न- समन्वित परामर्श मुख्य चरणों या पदों को संक्षिप्त रूप में स्पष्ट कीजिए।
  103. प्रश्न- निर्देशीय परामर्श के मुख्य चरण या सोपान कौन-कौन से हैं? स्पष्ट कीजिए।
  104. प्रश्न- परामर्श के किसी एक उपागम का वर्णन कीजिए।
  105. प्रश्न- परामर्शदाता की विशेषताओं, गुणों तथा व्यावसायिक नीतिशास्त्र का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- परामर्शदाता की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
  107. प्रश्न- परामर्शदाता में किस प्रकार का अनुभव होना आवश्यक है, बताइये।
  108. प्रश्न- परामर्शदाता का प्रशिक्षण कार्यक्रम बताइये।
  109. प्रश्न- निर्देशन कार्यक्रम में परामर्शदाता की भूमिका क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  110. प्रश्न- परामर्शदाता के व्यक्तित्व सम्बन्धी विशेषकों का उल्लेख कीजिए।
  111. प्रश्न- क्रो एवं क्रो के अनुसार परामर्शदाताओं के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  112. प्रश्न- परामर्शार्थी और परामर्शदाता के पारस्परिक सम्बन्धों को स्पष्ट कीजिए।
  113. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों की आवश्यकता बताइए तथा निर्देशन केन्द्रों के उद्देश्य भी बताइए।
  114. प्रश्न- भारत में निर्देशन एवं परामर्श की समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
  115. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों के कार्य बताइए।
  116. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों की समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
  117. प्रश्न- बुद्धि से आप क्या समझते हैं? बुद्धि के प्रकार, विशेषताएँ एवं सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  118. प्रश्न- बुद्धि के मापन से आप क्या समझते हैं? बुद्धि परीक्षणों के प्रकार का वर्जन करते हुए बुद्धिलब्धि को कैसे ज्ञात किया जाता है? स्पष्ट कीजिए।
  119. प्रश्न- शिक्षा और निर्देशन में बुद्धि परीक्षणों की उपयोगिता की विवेचना कीजिए।
  120. प्रश्न- रुचि क्या है? रुचि की महत्वपूर्ण विशेषताओं और प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  121. प्रश्न- अभिवृत्ति का क्या अर्थ है? अभिवृत्ति परीक्षण का वर्णन कीजिए।
  122. प्रश्न- 'रुचि आविष्कारिकाएँ' क्या मापन करती हैं? कम से कम दो रुचि आविष्कारिकाओं का नाम बताइए।
  123. प्रश्न- बुद्धि कितने प्रकार की होती है? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  124. प्रश्न- बुद्धि की मुख्य विशेषताएँ कौन-कौन सी हैं? स्पष्ट कीजिए।
  125. प्रश्न- बुद्धि के अर्थ तथा स्वरूप पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  126. प्रश्न- रुचि का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए।
  127. प्रश्न- रुचियों के मुख्य प्रकार कौन-कौन से हैं? संक्षेप में बताइये।
  128. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श में रुचि सूचियों के लाभ का वर्णन कीजिए।
  129. प्रश्न- रुचि-सूचियों की कमियां या दोषों का उल्लेख कीजिए।
  130. प्रश्न- अभिवृत्ति के वर्गीकरण का वर्णन कीजिए।
  131. प्रश्न- अभिवृत्ति से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  132. प्रश्न- भारतवर्ष में रुचि मापन के कार्यों पर प्रकाश डालिये।.
  133. प्रश्न- निर्देशन सेवाओं में कौन-कौन से कर्मचारी भाग लेते हैं? प्रधानाचार्य एवं अध्यापक की निर्देशन सम्बन्धी भूमिका की विवेचना कीजिए।
  134. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श में अभिभावक एवं वार्डेन की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  135. प्रश्न- विशिष्ट बालकों से क्या अभिप्राय है? उनकी क्या विशेषताएँ हैं? पिछड़े बालकों की शिक्षा एवं समायोजन के लिये निर्देशन व परामर्श का एक कार्यक्रम तैयार कीजिए।
  136. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श कर्मचारी वर्ग के रूप में प्रधानाचार्य की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  137. प्रश्न- विशिष्ट बालकों को निर्देशन व परामर्श देते समय क्या सावधानियाँ रखी जानी चाहिये? वर्णन कीजिए।
  138. प्रश्न- चिकित्सा कर्मचारी किस प्रकार निर्देशन प्रक्रिया में योगदान देते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  139. प्रश्न- निर्देशन प्रक्रिया में शारीरिक शिक्षक के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  140. प्रश्न- निर्देशन कार्यक्रम में परामर्शदाता की भूमिका क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  141. प्रश्न- प्रधानाचार्य के निर्देशन सम्बन्धी उत्तरदायित्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  142. प्रश्न- निर्देशन में शिक्षक की भूमिका क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  143. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मनोचिकित्सक की भूमिका बताइये।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book